ओटोमन साम्राज्य का विघटन 1922 में हुआ था, जब तुर्क साम्राज्य की स्थापना के बाद से उसकी सत्ता धीरे-धीरे कम हो गई थी। इसके पीछे कई कारण थे, जैसे अंतर्निर्दिष्ट और अंतराष्ट्रीय दबाव, विद्रोह, और प्रभावशाली बाहरी शक्तियों की दबाव। अंततः, विश्वयुद्ध के बाद, 1922 में तुर्की गणराज्य की स्थापना हुई, जिससे ओटोमन साम्राज्य का अंत हो गया।
पृष्ठिभूमि
ओटोमन साम्राज्य की पृष्ठभूमि मध्य और पूर्वी यूरोप, वेस्ट एशिया, उत्तर अफ्रीका, और दक्षिणी यूरोप में फैली हुई थी। यह साम्राज्य 14वीं सदी से 20वीं सदी तक विकसित हुआ और अपनी सत्ता को विस्तारित करता रहा। इसका केंद्रीय क्षेत्र तुर्की में स्थित था, जिसे वे अनातोलिया कहते थे। ओटोमन साम्राज्य की स्थापना 1299 में हुई थी और इसने 16वीं और 17वीं सदी में अपनी सबसे अधिक समृद्धि और सत्ताशाली पीरियड को देखा।
युवा तुर्क क्रांति
युवा तुर्क क्रांति (Young Turk Revolution) उस धारावाहिक स्वतंत्रता आंदोलन को कहा जाता है जिसने 1908 में ओटोमन साम्राज्य के नेतृत्व में परिवर्तन का नाम रखा। यह क्रांति तुर्क युवा सिपाहियों, जिन्हें "युवा तुर्क" कहा जाता था, द्वारा किया गया था। इसका प्रमुख उद्देश्य ओटोमन साम्राज्य में लोकतांत्रिक सुधारों की मांग करना था। इसके परिणामस्वरूप, मेहमानी तंत्र का अंत हो गया और एक संविधानिक सरकारी प्रणाली का स्थापना हुआ।
दूसरा संवैधानिक युग 1908से 1920
संवैधानिक युग (Constitutional Era) के संदर्भ में सही है। यह दूसरा संवैधानिक युग 1908 से 1920 तक चला, जब तुर्किश राष्ट्रपति मेहमेत अली पाशा की अध्यक्षता में लोकतांत्रिक सुधारों का आरम्भ हुआ। यह अवधि युवा तुर्क क्रांति के बाद शुरू हुई, जिसमें संविधान, स्वतंत्र मीडिया, और सिविल समाज की स्थापना की गई। इस अवधि में तुर्किश समाज में सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक परिवर्तनों की प्रेरणा हुई, लेकिन 1920 में ओटोमन साम्राज्य की आक्रमणकारी देशों के द्वारा अधिग्रहण का परिणाम होने से यह युग समाप्त हुआ।
यूनियन और प्रोग्रेस ने नियंत्रण संभाला 1913से 1918
जी हां, यूनियन और प्रोग्रेस (Union and Progress), जिन्हें युवा तुर्कों के रूप में भी जाना जाता है, ने 1913 से 1918 तक ओटोमन साम्राज्य में नियंत्रण संभाला। यह समय तुर्की में सत्ताधारी दल के रूप में उभरा और सत्ताधारी तंत्र की स्थापना की। यह समय भी पहले विश्वयुद्ध की शुरुआत (1914) और तुर्किश राष्ट्रीयता के विकास के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था। 1918 में पहले विश्वयुद्ध के अंत के बाद, यूनियन और प्रोग्रेस का शासन समाप्त हो गया।
मेहमत VI (1918–1922)
जी हां, मेहमेत VI, जिन्हें महमूद विस्तिस्त (Mahmud Vahideddin) भी कहा जाता है, 1918 से 1922 तक ओटोमन साम्राज्य के आखिरी सुल्तान थे। उनके कार्यकाल के दौरान, ओटोमन साम्राज्य का सत्ताधारी प्रणाली धीरे-धीरे अस्थिर हो गई और साम्राज्य के अंत की दिशा में तेजी से बदलाव हुआ। 1922 में तुर्क स्वतंत्रता सँग्राम के बाद, मेहमेत VI ने अपनी अधिकारिक प्राधिकरण को खो दिया और उनका सत्ता से अस्तित्व समाप्त हो गया। इसके बाद, तुर्क गणराज्य की स्थापना हुई।
ओटोमन साम्राज्य का अंत
ओटोमन साम्राज्य का अंत 1922 में तुर्क स्वतंत्रता संग्राम के परिणामस्वरूप हुआ। इस युद्ध के परिणामस्वरूप, तुर्क स्वतंत्रता संग्राम के नेतृत्व में ओटोमन साम्राज्य की सत्ता और प्राधिकरण का अंत हो गया। इसके बाद, 1923 में तुर्क गणराज्य की स्थापना हुई, जिसने ओटोमन साम्राज्य की जगह ली। इसके परिणामस्वरूप, तुर्की एक गणराज्य बन गई, जो आधुनिक तरीके से आयोजित और व्यवस्थित था।
दूसरा संवैधानिक युग (Second Constitutional Era) को ओटोमन साम्राज्य के इतिहास में उस अवधि के रूप में जाना जाता है, जो 1908 से 1918 तक थी। इस अवधि में, ओटोमन साम्राज्य में लोकतंत्रिक प्रणाली की पुनर्स्थापना हुई थी, जिसका प्रमुख उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक सुधार करना था। यह अवधि युवा तुर्कों के प्रेरणा से शुरू हुई, जो संविधान, स्वतंत्र मीडिया, और सिविल समाज की स्थापना के लिए समर्थ थे। इस अवधि में, पहली बार एक निर्विरोधी संविधान, स्वतंत्र मीडिया, और निर्दलीय चुनावों के द्वारा सरकार के सामने जनता का प्रतिनिधित्व हुआ।
पृष्ठभूमि
ओटोमन साम्राज्य की पृष्ठभूमि मध्य और पूर्वी यूरोप, वेस्ट एशिया, उत्तर अफ्रीका, और दक्षिणी यूरोप में थी। इसका केंद्रीय क्षेत्र तुर्की में स्थित था, जिसे अनातोलिया कहा जाता था। ओटोमन साम्राज्य की स्थापना 1299 में हुई थी और यह 1922 तक अस्तित्व में रहा। इसका उद्दीपन मुगल साम्राज्य से था जो की सबसे प्राचीन साम्राज्य में से एक था।
युवा तुर्क क्रांति (1908)
युवा तुर्क क्रांति (1908) ओटोमन साम्राज्य में एक महत्वपूर्ण घटना थी, जो लोकतांत्रिक सुधारों की शुरुआत की। इस क्रांति के प्रेरक तुर्क युवा अधिकारियों ने सैनिकों और अन्य समर्थकों की सहायता से एक साम्राज्यिक संघर्ष का आयोजन किया। इसके परिणामस्वरूप, मेहमेत अली पाशा की अध्यक्षता में ओटोमन साम्राज्य में लोकतंत्र की पुनर्स्थापना हुई। यह क्रांति ओटोमन साम्राज्य की विशालकाय सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक बदलाव का आरंभ करने में महत्वपूर्ण रही।
प्रारंभिक पुनः खोलना (1908-1909)
प्रारंभिक पुनः खोलना (1908-1909) या प्रारंभिक रिस्टोरेशन युग, युवा तुर्क क्रांति के बाद ओटोमन साम्राज्य में लोकतंत्र की पुनर्स्थापना की घटना को दर्शाता है। इस अवधि में, मेहमेत अली पाशा के नेतृत्व में तुर्क साम्राज्य की संविधानिक सरकार का नवीनीकरण किया गया। यह अवधि विविधता, अदालती स्वतंत्रता, मीडिया की स्वतंत्रता, और सामाजिक सुधारों के प्रोत्साहन का दौर रहा। इसका परिणामस्वरूप, साम्राज्य में राष्ट्रपति और मजलिस नामक संसद का गठन हुआ, जिससे ओटोमन साम्राज्य में लोकतंत्र की पुनर्स्थापना हुई।
31 मार्च संकट (1909)
31 मार्च संकट (1909) ओटोमन साम्राज्य में एक महत्वपूर्ण घटना थी, जिसे आमतौर पर "31 मार्च विप्रीत हादसा" भी कहा जाता है। इस दिन, सुल्तान अब्दुलहमीद II के खिलाफ तुर्क सैन्य और युवा तुर्क रेगिमेंट के बीच विवाद हुआ। यह विवाद सियासी, सामाजिक और सैनिक कारकों के संयोग से उत्पन्न हुआ था। इसके परिणामस्वरूप, सुल्तान को सिंगापुर ले जाया गया और उनके बाद उनके भाई मेहमेत वी ने सल्तनत का काम संभाला। यह घटना युवा तुर्क संगठन के उद्दीपकों की बढ़ती शक्ति का प्रदर्शन करती है, जो बाद में ओटोमन साम्राज्य में सत्ता को नए तरीके से आयोजित करने का प्रयास किया।
शांति के वर्ष (1909-1911)
"शांति के वर्ष" (Years of Peace) 1909 से 1911 तक चले। इस अवधि के दौरान, ओटोमन साम्राज्य में अस्थिरता की स्थिति को शांति और स्थायित्व की अवधि में बदला गया। 1909 में हुए विप्रीत हादसे के बाद, सुल्तान अब्दुलहमीद II की राजधानी से हटाई गई और उनके भाई मेहमेत V (महमूद फिरदौन) को सुल्तान बनाया गया। इसके बाद, युवा तुर्कों ने सत्ता का नियंत्रण किया और देश की ताकत को बढ़ावा दिया। यह अवधि तुर्क समाज में सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक परिवर्तनों के लिए एक महत्वपूर्ण और शांतिपूर्ण दौर था।
संकट के वर्ष (1911-1913)
"संकट के वर्ष" (Years of Crisis) 1911 से 1913 तक के ओटोमन साम्राज्य के इतिहास में महत्वपूर्ण थे। इस अवधि में, ओटोमन साम्राज्य को आंतरिक और बाह्य संकटों का सामना करना पड़ा।
1911 में, इटालियनों द्वारा लीबिया के उत्तरी क्षेत्रों पर हमला किया गया, जिससे ओटोमन साम्राज्य की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्थिति में और अधिक दबाव पैदा हुआ।
1912 में, बल्गेरिया, सर्बिया, मॉन्टेनीग्रो, और यूनान ने मिलकर ओटोमन साम्राज्य के खिलाफ बलवा बढ़ाया और बॉल्कन युद्ध शुरू हुआ। इससे ओटोमन साम्राज्य के ग्रीक, बल्गेरियाई, और सर्बियाई क्षेत्रों की हार हुई और उसकी सामरिक शक्ति कमजोर हो गई।
इन संकटों के बीच, तुर्किश समाज में विभिन्न विचारधाराओं और समूहों के बीच तनाव बढ़ा और साम्राज्य के भविष्य को लेकर असमंजस बढ़ा।
एक पार्टी राज्य (1913-1918)
"एक पार्टी राज्य" (One Party State) अवधि 1913 से 1918 तक की ओटोमन साम्राज्य की इतिहास में महत्वपूर्ण थी। इस अवधि में, युवा तुर्कों का प्रभाव बढ़ गया और उन्होंने साम्राज्य में सत्ता का पूर्ण नियंत्रण हासिल किया।
1913 में, युवा तुर्क संगठन ने ओटोमन साम्राज्य में एक पार्टी राज्य का निर्माण किया। इसका मतलब था कि एक ही दल, यानी युवा तुर्क पार्टी, को ही साम्राज्य की सभी सत्ताओं और प्रशासनिक विभागों पर पूर्ण नियंत्रण होता है।
इस अवधि में, युवा तुर्कों ने राष्ट्रीय निकायों को संघर्षात्मक रूप से धार्मिक, लिंग, और भाषा के आधार पर संघर्ष किया और अपने सत्ताधिकार को सुनिश्चित किया।
1918 तक, यह पार्टी राज्य मॉडल ओटोमन साम्राज्य को प्रभावित करता रहा, जब तक कि पहले विश्वयुद्ध के बाद तुर्क स्वतंत्रता संग्राम और ओटोमन साम्राज्य के अंत के समय इस नियंत्रण को ध्वस्त कर दिया।
एक साम्राज्य का अंत और उसका संविधान (1918-1920)
1918 से 1920 तक का काल ओटोमन साम्राज्य के अंत और उसके संविधान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था।
यह अवधि पहले विश्वयुद्ध के बाद हुई, जिसने ओटोमन साम्राज्य को भी प्रभावित किया। 1918 में तुर्क स्वतंत्रता संग्राम के बाद, ओटोमन साम्राज्य के सत्ताधारी दल का अस्तित्व समाप्त हो गया।
1920 में, ओटोमन साम्राज्य का अंत हुआ और तुर्क गणराज्य की स्थापना हुई। इस समय में, तुर्की राष्ट्रीय सम्मेलन नामक संस्था ने एक नया संविधान बनाया, जिससे तुर्क गणराज्य की आधारशिला रखी गई। यह संविधान 1921 में अधिकृत रूप से अपनाया गया।
ओटोमन साम्राज्य के अंत के बाद, तुर्क गणराज्य ने अपनी स्थापना के बाद एक नए राष्ट्रीय संविधान को अपनाया, जिससे देश को एक लोकतांत्रिक और संघर्षमुक्त राष्ट्र के रूप में संगठित किया गया।
1913 में ओटोमन साम्राज्य में एक तख्तापलट घटित हुआ, जिसमें सुल्तान मेहमेत V (महमूद फिरदौन) को तख्त संभालने का मौका मिला। यह तख्तापलट 31 मार्च 1913 को हुआ, जब तुर्क साम्राज्य में युवा तुर्कों और सैनिकों के बीच विवाद हुआ और सुल्तान अब्दुलहमीद II को सिंगापुर में बहाल किया गया। उसके बाद, महमूद फिरदौन ने सुल्तान के रूप में तख्त संभाला। यह तख्तापलट युवा तुर्कों के आधारभूत मांगों को पूरा करने का परिणाम था और ओटोमन साम्राज्य में लोकतंत्र की शुरुआत की गई।
तत्काल बहाना
तत्काल बहाना, या तख्तापलट, तो वह समय होता है जब किसी राजनीतिक संकट या उठापटक के परिणामस्वरूप सत्ताधारी नेतृत्व में परिवर्तन होता है। यह एक राजनीतिक आयोजन हो सकता है जो दृश्यवार्तक, संघर्षात्मक, या शांतिपूर्ण भी हो सकता है। तत्काल बहाना अक्सर सत्ताधारी की निकट समीपता के कारण या नियंत्रण की अभावना के कारण होता है। इसमें सामाजिक, आर्थिक, या आधिकारिक असंतोष शामिल हो सकता है। इस शब्द का प्रयोग विभिन्न संदर्भों में होता है, जैसे राजनीतिक, सामाजिक, या सांस्कृतिक घटनाओं में।
पृष्ठभूमि
1913 में ओटोमन तख्तापलट की पृष्ठभूमि यह थी कि तुर्क साम्राज्य में युवा तुर्कों के और सैनिकों के बीच एक विवाद हुआ, जिसके परिणामस्वरूप सुल्तान अब्दुलहमीद II को सिंगापुर में बहाल किया गया और उनके भाई महमूद फिरदौन को सुल्तान बनाया गया। इस घटना ने तुर्क साम्राज्य में राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तनों की दिशा में महत्वपूर्ण परिवर्तन किया। यह विवाद युवा तुर्क संगठन के प्रभाव को बढ़ावा दिया और तुर्क साम्राज्य में लोकतंत्र की शुरुआत की गई।
आयोजन
1913 में ओटोमन तख्तापलट का आयोजन युवा तुर्कों के द्वारा किया गया था। यह एक आयोजन था जिसमें वे सत्ता को अपने हाथों में लेने के लिए प्रयास कर रहे थे। युवा तुर्कों का मुख्य उद्देश्य सुल्तान अब्दुलहमीद II की सत्ता से हटाना और तुर्क साम्राज्य को लोकतंत्र में परिवर्तित करना था। उन्होंने सैनिकों और दूसरे समर्थकों की सहायता से एक साम्राज्यिक संघर्ष का आयोजन किया। इसके परिणामस्वरूप, उन्हें सफलता मिली और सुल्तान को सिंगापुर भेज दिया गया, और उनके भाई महमूद फिरदौन को सुल्तान बनाया गया। यह आयोजन ओटोमन साम्राज्य में लोकतंत्र की शुरुआत का महत्वपूर्ण कदम था।
परिणाम
1913 के ओटोमन तख्तापलट के परिणाम साम्राज्य में महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन लाए। इस घटना ने ओटोमन साम्राज्य की राजनीतिक परंपरा को व्यवस्थित किया और युवा तुर्क संगठन को सत्ता के प्रति अधिक प्रभाव का दर्शन किया। तुर्क साम्राज्य में लोकतंत्र की शुरुआत हुई और उसमें राष्ट्रीय संसद और दायित्वों का पुनर्निर्धारण हुआ। इसके परिणामस्वरूप, साम्राज्य के संविधानिक संरचना में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ और यह एक अधिक लोकतांत्रिक राष्ट्र की ओर प्रेरित करता है। यह घटना तुर्क समाज में भी एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का दर्शन कराती है, जिसमें युवा तुर्कों की सक्रिय भूमिका और उनके आर्थिक, सामाजिक, और राजनीतिक मांगों की प्रमुखता बढ़ी।
स्वतंत्रता और समझोता पार्टी
"स्वतंत्रता और समझौता पार्टी" तुर्किश स्वतंत्रता संग्राम के दौरान और उसके बाद तुर्किश इतिहास में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक पार्टी थी। यह पार्टी 1919 में मुस्तफा कमाल अटातुर्क (मुस्तफा कमाल पाशा) द्वारा स्थापित की गई थी।
स्वतंत्रता और समझौता पार्टी का मुख्य उद्देश्य तुर्किश राष्ट्र को ब्रिटिश और Γैलियन उपनिवेशन से मुक्ति दिलाना था। इस पार्टी ने तुर्किश लोगों के साथ राष्ट्रीय आत्मगौरव और स्वाधीनता की भावना को जगाने के लिए संघर्ष किया।
स्वतंत्रता और समझौता पार्टी का प्रमुख उद्देश्य था कि उन्हें युरोपीय राष्ट्रों की तरह स्वतंत्रता, स्वतंत्रता, और सामान्य लोगों के अधिकारों को स्थापित करने के लिए एक नया और महान तुर्किश राष्ट्र बनाने का प्रयास करना था।
इस पार्टी के नेतृत्व में, तुर्क स्वतंत्रता संग्राम के बाद, तुर्किश गणराज्य की स्थापना हुई और मुस्तफा कमाल अटातुर्क पार्टी के सदस्यों और समर्थकों के साथ तुर्किश राष्ट्र की निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
नाम पार्टी
"स्वतंत्रता और समझौता पार्टी" का अंग्रेजी में अनुवाद "Independence and Accord Party" है। यह पार्टी 1919 में तुर्की में स्थापित की गई थी और मुस्तफा कमाल अटातुर्क द्वारा नेतृत्व की गई थी।
आधार और सदस्य
"स्वतंत्रता और समझौता पार्टी" के आधार और सदस्यों के बारे में अधिक जानकारी शामिल नहीं की गई है। हालाँकि, इस पार्टी के आधार में उस समय के तुर्क समाज में फैले राष्ट्रीय आत्मगौरव और स्वतंत्रता के विचार शामिल थे। इस पार्टी के सदस्य अनेक राजनेता, शिक्षाविद्, सामाजिक कार्यकर्ता और अन्य सामाजिक नेता हो सकते हैं जो तुर्क स्वतंत्रता संग्राम में शामिल थे और तुर्क समाज की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहे थे।
मूल
"स्वतंत्रता और समझौता पार्टी" का मूल उद्देश्य तुर्क स्वतंत्रता संग्राम के दौरान तुर्क समाज को स्वतंत्रता और आज़ादी के लिए संगठित करना था। यह पार्टी तुर्क साम्राज्य को ब्रिटिश और Γैलियन उपनिवेशन से मुक्ति दिलाने का प्रयास किया और तुर्किश राष्ट्र की स्थापना को प्रोत्साहित किया। इसके मूल उद्देश्य में तुर्क समाज की आत्ममहत्वा, स्वाधीनता, और सामाजिक समृद्धि को प्रोत्साहित करना शामिल था।
इतिहास
"स्वतंत्रता और समझौता पार्टी" का इतिहास तुर्किश स्वतंत्रता संग्राम के दौरान और उसके बाद के तुर्किश इतिहास में महत्वपूर्ण है। यह पार्टी 1919 में मुस्तफा कमाल अटातुर्क (मुस्तफा कमाल पाशा) द्वारा स्थापित की गई थी।
1919 में तुर्किश इतिहास में अद्वितीय एक घटना हुई जिसे तुर्क ने राष्ट्रीय तौर पर "यूनान में गणराज्य" के नाम से जाना। यह घटना ब्रिटिश और Γैलियन उपनिवेशन के खिलाफ विरोध की भावना के दौरान हुई थी, जो तुर्क स्वतंत्रता संग्राम का एक प्रमुख कारक था। इस घटना के बाद, मुस्तफा कमाल अटातुर्क ने "स्वतंत्रता और समझौता पार्टी" की स्थापना की और उन्होंने तुर्क स्वतंत्रता संग्राम के नेतृत्व में भूमिका निभाई।
इस पार्टी के नेतृत्व में, तुर्क स्वतंत्रता संग्राम के बाद, तुर्किश गणराज्य की स्थापना हुई और मुस्तफा कमाल अटातुर्क पार्टी के सदस्यों और समर्थकों के साथ तुर्किश राष्ट्र की निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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